जयपुर (हमारा वतन) कांग्रेस का राजस्थान संकट भले ही इन दिनों सुर्खियों में न हो लेकिन अंदर ही अंदर काफी हलचल मची हुई है। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट चाह कर भी उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के तहत कांग्रेस का नया नेतृत्व हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनावों में लगा है और पायलट के कहने के बावजूद उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हाल ही में पायलट ने कहा था कि कांग्रेस के नए नेतृत्व को राजस्थान का मुद्दा जल्द सुलझाना चाहिए। पायलट का इशारा खुद को सीएम बनाने की ओर था। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के दौरान एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने पायलट को अश्वासन दिया था कि एक बार चुनाव संपन्न हो जाने के बाद राजस्थान का मसला सुलझाया जाएगा।
पार्टी तुरंत गहलोत को हटाना नहीं चाहती :- सचिन पायलट को सीएम बनाने का मतलब है कि अशोक गहलोत को किनारे करना होगा। लेकिन कांग्रेस का नया नेतृत्व ऐसा करने से बचना चाहता है। इसकी एक वजह गुजरात विधानसभा चुनाव है। पायलट की उड़ान पर ब्रेक लगाने का सीधा संबंध गुजरात चुनाव अभियान में गहलोत की अहम जिम्मेदारी से है। गहलोत को कांग्रेस ने गुजरात चुनाव की अहम जिम्मेदारी है जिसके चलते राजस्थान सीएम पिछले दिनों भाजपा शासित प्रदेश में कई रैलियां भी कर चुके है। चुनाव से पहले कांग्रेस गहलोत को हटाकर उनकी नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है।
भारत जोड़ो यात्रा, गुजरात चुनाव के चलते कड़ा कदम उठाने से पीछे हट रही :-ऐसा प्रतीता हो रहा है कि कांग्रेस विधानसभा चुनावों से ज्यादा राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा को तवज्जो दे रही है। विशेषज्ञों की मानें तो कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा और गुजरात चुनावों के बीच राजस्थान संकट को फिर से हवा नहीं देना चाहती है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि जब तक भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से नहीं गुजर जाती है, तब तक वहां कुछ भी “अस्थिर” करने का पार्टी का इरादा नहीं है। पार्टी के कार्यक्रम के अनुसार, राहुल गांधी के नेतृत्व वाली यात्रा दिसंबर के पहले सप्ताह में राजस्थान पहुंचने वाली है। यात्रा दूसरे राज्य में जाने से पहले, राजस्थान में 15-20 दिनों तक जारी रहेगी। इसके अलावा गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव के बीच पार्टी कड़ा कदम नहीं उठाना चाहती है।
गहलोत के सभी विधायकों से अच्छे रिश्ते :-गहलोत के लगभग सभी विधायकों से रिश्ते अच्छे हैं। सचिन पायलट भले ही आलाकमान की पसंद हों लेकिन राजस्थान कांग्रेस की सच्चाई यही है कि ज्यादातक विधायक अशोक गहलोत के समर्थक हैं। यही वजह है कि पायलट की ताजपोशी पर पहले भी विराम लग चुका है। हाल ही में राजस्थान के जलदाय मंत्री डॉ महेश जोशी ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने के लिए किसी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। जोशी ने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ किए जाने पर सचिन पायलट के ताजा बयान पर कही। इससे पहले पायलट ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री गहलोत की बड़ाई किए जाने पर कटाक्ष करते हुए इसे ‘रोचक घटनाक्रम’ बताया और कहा कि इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
गहलोत पर निशाना साधना पायलट को भारी पड़ सकता है :- गहलोत द्वारा पीएम मोदी की कथित तारीफ के बाद से पायलट उन पर निशाना साध रहे हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि पायलट को वार भारी पड़ सकता है। सचिन पायलट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ‘बड़ाई’ किए जाने पर कटाक्ष करते हुए बुधवार को इसे ‘रोचक घटनाक्रम’ बताया था और पार्टी आलाकमान से राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर ‘अनिर्णय’ की स्थिति को समाप्त करने के लिए कहा। इसके साथ ही पायलट ने सितंबर में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक का बहिष्कार करते हुए गहलोत के समर्थन में विधायकों के शक्ति प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले राजस्थान के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई किए जाने पर जोर दिया।
पायलट के इस ताजा बयान को कांग्रेस की राजस्थान इकाई में गहलोत एवं पायलट ‘खेमों’ के बीच खींचतान को फिर से शुरू होने का संकेत माना जा रहा है। यह खींचतान पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव के चलते कई दिनों से थमी हुई थी। वहीं मुख्यमंत्री गहलोत ने पायलट व अन्य नेताओं के ताजा बयान संबंधी सवाल को यह कहते हुए टाल दिया, ‘नेताओं को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए।’ साल 2020 में गहलोत के खिलाफ कुछ विधायकों के विद्रोह का नेतृत्व करने वाले पायलट ने बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में मंगलवार को हुए कार्यक्रम का जिक्र करते हुए गहलोत पर निशाना साधा।
अनुशासन में रहने को कह चुकी है पार्टी :- पायलट के ताजा राजनीतिक बयानों पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा था कि ऐसे बयान नहीं दिए जाने चाहिए। गहलोत ने पायलट के ताजा बयानों के बारे में पूछे जाने पर अलवर में कहा, ‘देखो बयान तो नहीं देना चाहिए वैसे तो। क्योंकि हमारे महासचिव केसी वेणुगोपाल जी ने अभी कहा कि बयानबाजी कोई नहीं करेंगे। तो हम तो चाहते हैं कि अनुशासन का पालन सब लोग करें।’ गहलोत के अलावा खड़गे भी पायलट से नाराज हो सकते हैं। पार्टी आलाकमान पहले ही अपने नेताओं को अनुशासन में रहने का निर्देश दे चुका है।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
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