नई दिल्ली (हमारा वतन) इस ब्रह्मांड में कई ऐसी चीजें हैं जो हमें हर रोज आश्चर्यचकित करती हैं | तारों का टिमटिमाना भी ऐसा ही कुछ है, चलिए आज इसके पीछे का विज्ञान समझते हैं | रात को जब आसमान की ओर आप देखते हैं तो आपको ऊपर तारे टिमटिमाते नजर आते हैं | हालांकि, वो पृथ्वी से अरबों किलोमीटर दूर होते हैं, लेकिन इसके बाद भी उनका प्रकाश हमारी आंखों तक पहुंचता है |
कई वैज्ञानिकों का मानना है कि जिन तारों को आप रात में देखते हैं, जरूरी नहीं है कि उनकी रौशनी पहुंचने तक वो जिंदा भी रहें | यानी वो आपसे इतनी दूर हैं कि आपकी आंखों तक उनके प्रकाश को पहुंचने में अरबों साल लग जाते हैं | ऐसे में वो तारे पैदा हो कर मर भी चुके होते हैं |
अब चलिए जानते हैं कि आखिर तारों से आने वाला प्रकाश हमें टिमटिमाता हुआ क्यों नजर आता है | वैज्ञानिक मानते हैं कि इसके पीछे हमारे वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों का मिश्रण होता है | दरअसल, ये चीजें अंतरिक्ष से आने वाले प्रकाश को पृथ्वी पर पहुंचने से पहले विकृत कर देती हैं | इस वजह से हमें आसमान में तारे उतने साफ दिखाई नहीं देते, जितने साफ टेलिस्कोप से दिखाई देते हैं | यही वजह है कि हमको तारे टिमटिमाते हुए नजर आते हैं |
इसके साथ ही आपको बता दें, वायुमंडल की सभी परतों का तापमान और हवा का घनत्व अलग-अलग होता है | तारों की रोशनी जब वायुमडंल में प्रवेश करती है तो उसे गर्म और ठंडी हवा की परतों से होकर गुजरना पड़ता है तब ये परतें उस रोशनी के लिए एक बड़े मोटे लेंस की तरह काम करती हैं, जिससे प्रकाश के परावर्तन की प्रक्रिया होती और रोशनी की दिशा विचलित हो जाती है |
बड़ी बात ये है कि ये परतें स्थिर लेंस नही होतीं, बल्कि ये एक गतिमान लेंस की तरह काम करती हैं, जिससे तारों से आने वाली रोशनी लगातार विचलित होती रहती है और हमें तारे टिमटिमाते हुए नजर आते हैं | यह बात दूसरे ग्रहों और यहां तक कि चांद पर भी लागू होती है, लेकिन इनकी टिमटिमाहट बहुत कम मात्रा होती है |
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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