(हमारा वतन) देश में 70 से 90 फीसदी लोग विटामिन-डी की कमी से जूझ रहे हैं। कुछ लक्षणों के आधार पर इस जरूरी विटामिन की कमी को जाना जा सकता है। अच्छी बात यह है कि ठंड विटामिन-डी की पूर्ति का सबसे सही समय है | हमारे शरीर में दांतों, हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी तत्व है-विटामिन-डी। शरीर में मौजूद कैल्शियम को हड्ड़ियों तक पहुंचाने का काम इसी विटामिन के जिम्मे होता है।
एक स्वस्थ व्यक्ति को एक दिन में लगभग 37.5 से 50 एमसीजी विटामिन-डी की जरूरत होती है। वहीं बढ़ते हुए बच्चों को रोजाना कम से कम 25 एमसीजी की आवश्यकता होती है। यह एक ऐसा पोषक तत्व है, जो वसा में घुल जाता है। इसमें विटामिन डी1, डी2 और डी3 शामिल होते हैं। सूरज की रोशनी विटामिन-डी का प्राथमिक स्रोत है। धूप के संपर्क में आते ही त्वचा विटामिन-डी का निर्माण खुद से करने लगती है। इसका प्रमुख काम कैल्शियम और फास्फोरस को अवशोषित कर शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाना है। विटामिन डी हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत रखता है।
विटामिन-डी की कमी से ये होती हैं परेशानियाँ –
कमजोर हड्डियां :
विटामिन-डी की कमी होने पर हल्की-सी चोट से ही हड्डी टूट जाने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि शरीर में कैल्शियम की आपूर्ति पर्याप्त नहीं हो पाती। हड्डियों का घनत्व कम होने से शरीर में लगातार दर्द रहता है। इससे हड्डियां मुलायम (ऑस्टियोमलेेशिया) व भुरभराने (ऑस्टियोपोरोसिस) लगती हैं।
डिप्रेशन और अवसाद :
शरीर में विटामिन-डी की कमी होने पर भी अवसाद के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसा होने पर मूड खराब रहना, निराशा, अकेलापन महसूस करना या चिड़चिड़ाहट होने लगती है।
बाल झड़ना और शुष्क त्वचा :
विटामिन-डी का एक प्रमुख कार्य बालों को घना, रेशमी और मुलायम बनाए रखना है। इसकी कमी होने पर बाल तेजी से झड़ने लगते हैं। त्वचा का सूखना या अधिक खुजली भी इसके लक्षण हैं।
घाव भरने में दिक्कत :
हल्की-फुल्की चोट या जख्म अगर ठीक होने में ज्यादा समय लेते हैं, तो इसे डायबिटीज का लक्षण समझा जाता है, पर ऐसा विटामिन-डी की कमी से भी हो सकता है। यह विटामिन शरीर को विभिन्न संक्रमणों से लड़ने और सूजन कम करने में मदद करता है।
कुछ अन्य लक्षण :
अत्यधिक धूम्रपान करने वाले लोगों तथा लिवर या किडनी की बीमारी से ग्रस्त लोगों में विटामिन-डी का स्तर सामान्य से कम ही पाया जाता है। इसके अलावा मुंह में सुखापन, सुन्न होना या किसी चीज का स्वाद न आना भी इसकी कमी का संकेत देते हैं।
बच्चों में लक्षण :
बच्चों में विटामिन-डी की कमी होने पर रिकेट्स नामक रोग के होने का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें पैरों की हड्डियां नरम होकर मुड़ जाती हैं।
ओवरडोज का रखें खयाल :
विटामिन-डी की कमी से शरीर में कैल्शियम नहीं टिकता और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, पर इसकी अधिकता से शरीर में कैल्शियम ज्यादा जमा होने लगता है। धमनियों में ऐसा होना रक्त प्रवाह को बाधित कर सकता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। डॉक्टर से पूछकर ही सेवन करें।
कैसे करें कमी पूरी :
शरीर में विटामिन-डी की कमी होने पर निमोनिया, वायरल और फेफड़ों में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए रोजाना कम से कम 15 से 20 मिनट धूप में बैठना आवश्यक है। हर मौसम में सूर्य का प्रकाश अलग-अलग तीव्रता लिए होता है। गर्मियों में सुबह की धूप लेना फायदेमंद होता है, वहीं सर्दियों में दोपहर में भी देर तक धूप का मजा लिया जा सकता है।
कैसा हो आहार :
सूर्य के प्रकाश के अलावा, विटामिन-डी बहुत से खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है। जैसे सोयाबीन, पालक, गोभी, सफेद सेम की फली, भिंडी, चीज, संतरे, अंडे, सालमन व सार्डिन नामक मछली भी विटामिन-डी के प्रमुख स्रोत हैं।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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