जयपुर (हमारा वतन) विकट संकष्टी चतुर्थी का दिन बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। संकष्टी का अर्थ है समस्याओं से मुक्ति। अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता पंडित रविन्द्राचार्य ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन की सभी मुश्किलें समाप्त होती हैं |इस बार यह व्रत 27 अप्रैल के दिन रखा जाएगा,तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं –
इस व्रत को रखने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
विकट संकष्टी चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के सम्मान में मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इन्हें अन्य देवताओं में प्रथम पूज्य माना जाता है। यही वजह है कि इस व्रत का इतना ज्यादा महत्व है। हालांकि व्रत रखते समय पवित्रता का खास ख्याल रखना चाहिए, जिससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त किया जा सके। गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से सभी विघ्नों का नाश होता है। साथ ही शिव जी के लल्ला का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि संकष्टी चतुर्थी पर मोदक चढ़ाने से गणेश जी बहुत खुश होते हैं, क्योंकि मोदक उन्हें बहुत प्रिय है। इसलिए इस पर्व पर उनका प्रिय भोग जरूर चढ़ाएं। साथ ही पूजा में भूलकर भी तुलसी पत्र शामिल न करें।
भगवान गणेश पूजन मंत्र
ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
व्रत का महत्व
गणपति की कृपा पाने के लिए वैसे तो इस व्रत को कोई भी कर सकता है, लेकिन अधिकांश सुहागन स्त्रियां ही इस व्रत को परिवार की सुख- समृद्धि के लिए करती हैं। नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गजानन की आराधना से सुख-सौभाग्य में वृद्धि तथा घर-परिवार पर आ रही विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है एवं रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। इस चतुर्थी में चन्द्रमा के दर्शन करने से गणेश जी के दर्शन का पुण्य फल मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो तो उसे गणेशजी की पूजा-उपासना करनी चाहिए,ताकि वह सही निर्णंय लेकर जीवन में सफल हो सके। मन के स्वामी चंद्रदेव हैं, इस दिन गणेशजी की पूजा के साथ रात्रि में चंद्रोदय होने पर चन्द्रमा को अर्घ्य देकर मानसिक संतापों को दूर कर शुभ मनोरथ पूर्ण किया जाता है।
पूजाविधि
इस दिन शुभ मुहूर्त में गणेशजी की मूर्ति को पंचामृत से स्न्नान करा कर सिंदूर, दूर्वा, गंध, अक्षत, अबीर, गुलाल, सुंगधित फूल, जनेऊ, सुपारी, पान, मौसमी फल अर्पित करें। पूजा के समय गणेशजी की मूर्ति न होने पर एक साबुत सुपारी को ही गणेशजी मानकर पूजन किया जा सकता है। फिर दूर्वा अर्पित करके मोदक का प्रसाद लगाएं एवं दीप-धूप से उनकी आरती कर लें।
मंत्र
सुख-समृद्धि के लिए जितना हो सके गणेशजी के मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा’ का जप करें।श्री गणेश के मंत्र जाप से व्यक्ति का भाग्य चमक जाता है और हर कार्य अनुकूल सिद्ध होने लगता है। इस दिन पूर्ण श्रद्धा से गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना बहुत लाभदायी है।
इन बातों का रखें ध्यान
गणेश चतुर्थी की पूजा में किसी भी व्यक्ति को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए इनकी पूजा में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है। पूर्व या उत्तर मुख होकर पूजा करना लाभदायक माना गया है।
चतुर्थी तिथि कब
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और यह तिथि 28 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक मान्य रहेगी। इस व्रत में चतुर्थी तिथि में चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य का महत्व होता है।