नई दिल्ली (हमारा वतन) करोड़ों शिव भक्तों का इंतजार खत्म होने वाला है। कल यानी 10 जुलाई को सावन माह की पहली सोमवारी है। सावन के महीने में सोमवारी का व्रत बहुत ही विशेष महत्व रखता है। ढेर सारी पौराणिक कथाओं में भी सावन के सोमवार का वर्णन है। मान्यता ऐसी है की जो भक्त पूरे श्रद्धा भाव से सोमवारी का व्रत रखता है उस पर महादेव की विशेष कृपा बरसती है। आइए जानते हैं सोमवारी व्रत के नियम और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
सावन की सोमवारी का महत्व – पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सावन महीने के सोमवार दिन को ही राक्षस और देवताओं ने समुद्र मंथन किया था। इस दौरान निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था जिससे उनका शरीर बुरी तरह झुलस गया था। इस जलन को शांत करने के लिए उन्होंने अर्धचंद्र को अपने सिर पर धारण किया था। दूसरी ओर कुछ अन्य कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन सोमवार का विशेष व्रत रखा था।
सावन के सोमवारी की पूजा विधि – सावन की सोमवार के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। पूजा वाले दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान–ध्यान के बाद भगवान शिव और माता पार्वती इन सामने सावन सोमवार की पूजा और व्रत का संकल्प लें। अब सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें फिर शिव मंदिर जाएं और भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। वहीं देवी पार्वती को चुनरी, मेहंदी और चूड़ियां जैसी वस्तुएं अर्पित की जाती है।
व्रत के दिन अनाज खाने से परहेज करें – इसके बाद भगवान शिव को जनेऊ भी चढ़ाया जाता है। भक्त बिल्व पत्र, मिठाई और फल जैसे भोग लगा सकते हैं। मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। इस दिन भोजन, विशेषकर अनाज खाने से परहेज करें। फलों का सेवन किया जा सकता है। श्रावण सोमवार के दिन रुद्राभिषेक पूजा करने से सभी चुनौतियाँ दूर होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
NOTE :- इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। HAMARA WATAN इसकी पुष्टि नहीं करता है |
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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