पटना (हमारा वतन) बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि सभी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों (आरडीडी) के अलावा सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) 5-5 विद्यालयों को गोद लेंगे। गोद लिये स्कूलों में 50 फीसदी से अधिक उपस्थिति हर हाल में सुनिश्चित करेंगे।
साथ ही वे ऐसे विद्यालयों का नियमित निरीक्षण करेंगे। यही नहीं, वहां वे छात्रों व अभिभावकों से मुलाकात भी करेंगे और उनसे इस समस्या पर बात करेंगे। तीन दिनों तक अनुपस्थित रहने पर नोटिस दिया जाएगा और 15 दिनों तक लगातार गायब रहने पर बच्चों का नामांकन रद्द किया जाएगा।
पत्र में उन्होंने कहा है कि 1 जुलाई से मॉनिटरिंग व्यवस्था के बाद 50 फीसदी से कम उपस्थिति वाले विद्यालयों की संख्या लगातार कम हो रही है। लेकिन, अभी भी लगभग 10 फीसदी विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्रों की उपस्थिति 50 फीसदी से कम है। ऐसे में आरडीडी, डीईओ और जीपीओ को हस्तक्षेप करना होगा। देखा जाएगा कि एक ही विद्यार्थी दो स्कूल में नामांकित तो नहीं
पाठक ने जिलाधिकारियों को विस्तार से विभाग की कार्ययोजना बतायी है। इसके तहत इन गोद लिए विद्यालयों में इन पदाधिकारी को प्रतिदिन जाना होगा। वहां छात्रों की ट्रैकिंग होगी। यह देखा जाएगा कि कहीं वे एक साथ दो विद्यालयों में तो नहीं पढ़ रहे हैं। ऐसे छात्र नाम कटने के डर से लगातार 15 दिनों तक अनुपस्थित नहीं रहते हैं और बीच-बीच में विद्यालय आते रहते हैं।
ऐसा सिर्फ डीबीटी के माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किया जा रहा है। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार हर साल 3000 करोड़ की राशि डीबीटी के माध्यम से देती है। यदि 10 प्रतिशत बच्चों का भी नामांकन रद्द होता है तो राज्य को लगभग 300 करोड़ की बचत होगी।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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