(हमारा वतन) पितृ पक्ष 06 अक्टूबर, बुधवार को समाप्त हो जाएंगे। पितृ पक्ष का आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं। यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है। इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि 15 दिन से धरती पर आए हुए पितर अमावस्या के दिन विदा होते हैं। इस दिन पितरों को निमित करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। दान-दक्षिणा के साथ उन्हें विदा किया जाता है। हिंदू धर्म में सर्व पितृ अमावस्या का खास महत्व होता है। जानिए इस तिथि का महत्व और श्राद्ध विधि-
अमावस्या शुभ मुहूर्त-
अमावस्या तिथि 5 अक्टूबर 2021 मंगलवार को शाम 07 बजकर 04 मिनट से आरंभ होगी, जो कि 6 अक्टूबर 2021 का दोपहर 04 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी।
अमावस्या श्राद्ध का महत्व-
सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनके परिजनों को पितरों की देहांत तिथि ज्ञात नहीं होती है या भूल चुके होते हैं। कहते हैं कि इस दिन श्राद्ध करने से भोजन पितरों को स्वथा रूप में मिलता है। कहते हैं कि पितरों को अर्पित किया गया भोजन उस रूप में परिवर्तित हो जाता है, जिस रूप में उनका जन्म हुआ होता है। अगर मनुष्य योनि में हो तो अन्न रूप में उन्हें भोजन मिलता है, पशु योनि में घास के रूप में, नाग योनि में वायु रूप में और यक्ष योनि में पान के रूप में भोजन पहुंचाया जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध कर्म करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है।
अमावस्या के दिन ऐसे करें श्राद्ध-
अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता पंडित रविन्द्राचार्य के अनुसार, पितरों के लिए बनाए गए भोजन से पहले पंचबली भोग लगाया जाता है। इसमें भोजन से पहले पांच ग्रास, गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवों के लिए अन्न निकाला जाता है। इसके साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है। कहते हैं कि पितरों के भोजन साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर ही बनाएं। पितृ पक्ष के आखिरी दिन पिंडदान और तर्पण की क्रिया की जाती है। शाम को दो, पांच या सोलह दीपक जलाने की भी मान्यता है। कहते हैं कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
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