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मां-बाप बच्चों को कभी ना बताएं ये 5 बातें

जयपुर (हमारा वतन) बच्चों की सही परवरिश करना बिल्कुल भी आसान काम नहीं। दरअसल बच्चे ज्यादातर चीजें अपने पैरेंट्स से सीखते हैं। जीवन को ले कर उनका नजरिया भी काफी हद तक अपने पैरेंट्स से ही मेल खाता है। ऐसे में पैरेंट्स के लिए हर एक छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी हो जाता है। यूं तो पैरेंट्स को बच्चों से जितना हो सके खुलकर बात करनी चाहिए, जितना हो सके रिश्ते में सच्चाई और ट्रांसपेरेंसी बरकार रखनी चाहिए। लेकिन फिर भी कुछ ऐसी चीजें हैं, तो माता-पिता को कभी भी बच्चों से शेयर नहीं करनी चाहिए। यह ना सिर्फ उनकी मेंटल हेल्थ बल्कि ओवरऑल पर्सनलिटी पर भी नेगेटिव इंपैक्ट डाल सकती हैं।

बच्चों को ना करें अपने आपसी झगड़ों में शामिल :-

पति-पत्नी के रिश्ते में थोड़ा बहुत लड़ाई-झगड़ा होना तो स्वाभाविक है। हालांकि समस्या तब होती है जब आप बच्चे को भी अपने झगड़े में शामिल करने लग जाते हैं। बच्चे के सामने एक दूसरे की बुराई करना, एक दूसरे के बारे में अपशब्द बोलना या चिल्लाना; उसकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डाल सकता है। जब मां-बाप के झगड़े में बच्चे को भी घसीटा जाता है, तो कई बार वो कन्फ्यूज, डरा हुआ और यहां तक कि झगड़े के लिए खुद को जिम्मेदार भी समझने लगता है। इसका उनके इमोशनल डेवलेपमेंट पर बहुत ही नेगेटिव इंपैक्ट होता है।

बच्चों के सामने ना करें रिश्तेदारों की बुराई :-

अपने रिश्तेदारों से आमतौर पर कोई कभी खुश ही नहीं रहता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप उनकी बुराई अपने बच्चों से ही करने लग जाएं। कई पैरेंट्स बड़ी कैजुअली अपने बच्चों के सामने रिश्तेदारों और यहां तक कि ग्रैंड पैरेंट्स की बुराई भी करने लग जाते हैं। बच्चे अक्सर ऐसी बातें सुनकर काफी कन्फ्यूज फील कर करते हैं। उन्हें लोगों के साथ बॉन्ड बनाने में काफी परेशानी होने लगती है। इसके अलावा जब वो अपने पैरेंट्स को लोगों की बारे में पीठ पीछे बुराइयां करते देखते हैं, तो ये बुरी आदत वो काफी जल्दी कैच भी कर लेते हैं।

बच्चे के सामने ना करें उसके लुक्स पर नेगेटिव कमेंट :-

कई बार पैरेंट्स बच्चों के साथ बैठकर उनके रंग-रूप और शरीर के आकार के बारे में नेगेटिव कमेंट करने लग जाते हैं। भले ही आपकी नजरों में यह सब सिर्फ एक मजाक हो लेकिन ये सब बातें बच्चे के दिमाग में बैठ जाती हैं। कई बार बच्चे अपने लुक्स को ले कर इतने इनसिक्योर हो जाते हैं कि उनका कॉन्फिडेंस पूरी तरह खत्म हो जाता है। वो खुद को दूसरे से कम आंकने लग जाते हैं और उनकी यह आदत उनके भविष्य तक पर बुरा असर डालती है।

बच्चों को ना दें भविष्य की ये टेंशन :-

अपने भविष्य के बारे में सोचना, थोड़ी बहुत चिंता करना स्वभाव है। यहां तक कि बच्चों के साथ भी यह शेयर करने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन भविष्य को ले कर अपनी सभी चिंताओं और डर को बच्चे के साथ बिल्कुल भी ओवर शेयर ना करें। दरअसल बच्चे अपने पैरेंट्स की और एक सुरक्षा और स्थिरता के भाव से देखते हैं। ऐसे में अगर आप उसके सिर पर भविष्य की अनिश्चितताओं का डर, टेंशन, स्ट्रेस डाल देंगे; तो कहीं ना कहीं उसके अंदर असुरक्षा का भाव पनपने लगेगा। इससे बच्चे के भीतर भविष्य को ले कर स्ट्रेस और एंग्जाइटी जन्म ले सकती है।

बच्चों के साथ ना शेयर करें पारिवारिक झगड़े :-

किसी बड़े परिवार में झगड़े होना स्वाभाविक है। भाई-भाई के बीच का झगड़ा, जमीन जायदाद को ले कर झगड़ा या कोई और पारिवारिक कलह। लेकिन इन सभी चीजों के बीच में कभी भी बच्चों को ना लाएं। इस तरह के माहौल का बच्चों की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। परिवार के सदस्यों को आपस में ही एक दूसरे के बारे में बुरा बोलते देखना और यहां तक कि झगड़े में खुद भी घसीटे जाना; बच्चे की मेंटल हेल्थ के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं।

रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी 

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