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नई दिल्ली (हमारा वतन) राजस्थान के किसी भी शहर में भूखण्ड मालिकों को आगे से अपने भूखण्डों पर मकान बनाने के लिए मंजूरी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब निकायों से जारी होने वाले भूखण्डों के पट्टों के साथ ही मकान बनाने की अप्रूवल भी मिल जाएगा। ये अप्रूवल देना सभी नगरीय निकायों के लिए अनिवार्य कर दिया है।
मकान निर्माण की अप्रूवल केवल 500 वर्ग मीटर तक के भूखण्डों के पट्टों के साथ ही जारी की जाएगी। इससे बड़े साइज के भूखण्डों पर भवन निर्माण के लिए अलग से मंजूरी लेनी होगी। नगरीय विकास विभाग ने सोमवार को इस संबंध में एक आदेश जारी कर प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं, परिषद, नगर निगम, यूआईटी और विकास प्राधिकरण को ये व्यवस्था शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
जयपुर में है अभी ये व्यवस्था
राजधानी जयपुर में भूखण्डों के पट्टों के साथ ही मकान निर्माण की स्वीकृति जारी करने की व्यवस्था पूरे राजस्थान में अभी केवल जयपुर में ही है। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) अपने क्षेत्र में जब 500 वर्गमीटर तक के भूखण्डों के पट्टे (लीज डीड) जारी करता है। तब मकान निर्माण की मंजूरी भी हाथों-हाथ देता है। इसका बकायदा अलग से शुल्क भी लिया जाता है। जयपुर जेडीए के प्रावधानों को देखते हुए सरकार ने ये प्रावधान पूरे राजस्थान में लागू करने का फैसला लिया।
निकायों को मिलेगा राजस्व
वर्तमान में स्थिति ये है कि 500 वर्गमीटर तक के भूखण्डों पर मकान बनाने से अप्रूवल लेने के लिए ग्रीन फाइल लगाकर कुछ शुल्क निकायों में जमा करवाना होता है। 99 फीसदी लोग न तो ग्रीन फाइल लगाते हैं और न ही मकान बनाने की मंजूरी लेते हैं।कुछ लोग मंजूरी के लिए फाइल लगाते भी हैं तो उन्हें निकायों के कई चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन आसानी से मंजूरी नहीं मिलती। इससे निकायों को राजस्व का नुकसान होता है। ऐसे में इस निर्णय से राजस्व का नुकसान निकायों को नहीं होगा। इसके अलावा अकसर लोग जब मकानों का निर्माण करना शुरू करते हैं तो नगरीय निकायों से विजीलेंस की टीम आकर उस निर्माण कार्य को अनुमति नहीं लेने का हवाला देकर रुकवा देती है। इससे भी लोग परेशान होते थे।
चारदीवारी और विशेष एरिया में लागू नहीं होगा नियम
ये नियम शहरों के परकोटा क्षेत्र (चारदीवारी एरिया) जो पूर्व में राजा-महाराजाओं के समय बसाया गया है और शहर के लिए हेरिटेज धरोहर है। उन क्षेत्रों के लिए ये नियम लागू नहीं होगा। इसके अलावा कई विशेष एरिया जैसे ईको सेंसेटिव जोन (जैसे माउंट आबू व अन्य क्षेत्र), विशेष भू-उपयोग के लिए रिजर्व जमीन, विशेष सड़कों पर ये प्रावधान लागू नहीं होगा।
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