जयपुर (हमारा वतन) भारत समेत कई देशों में हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। इस साल भारत में मदर्स डे 12 मई को मनाया जा रहा है। ऐसे में इस मदर्स डे जानते हैं आज की मां पहले की मां से कैसे अलग है।
मां, इस एक शब्द में पूरी दुनिया समाई है। लेकिन आज की मां और भी खास है। ये वह मां है, जो बदलते जमाने के साथ खुद को बदल रही है, अपग्रेड कर रही है।
ऐसे कई शोध हुए हैं जो यह बताते हैं कि मां बनने के बाद एक महिला अपने पुराने रूप के मुकाबले ज्यादा सशक्त बन जाती है। यह भी एक जांची-परखी बात है कि मां बनने के बाद एक महिला खुद को बेहतर तरीके से निखार पाती है। वह घर से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियों के साथ कामकाजी जीवन में भी बेहतर प्रदर्शन करती है। लेकिन इस बात का अहसास अब हो रहा है। शायद पहले हो गया होता तो तस्वीर कुछ और ही होती। लेकिन जब जागो, तब सवेरा। अब मां को पता चल चुका है कि बच्चे को पालने का बेहतर तरीका क्या है। तभी तो आज की मां पहले से काफी अलग है। आज की मां को पता है कि बच्चे की लगाम कहां खींचनी है और कहां छोड़नी है। आज की मां को पता है कि उसके बच्चे की भूख-प्यास के अलावा और भी जरूरतें होती हैं। आज की मां अपने बच्चे के लिए करियर का रास्ता चुनने लगी है, उसके लिए उस हिसाब से व्यवस्था करने लगी है। आज की मां अपने बच्चे की खातिर खुद को निखारने लगी है। वह अपने बच्चों में पारिवारिक संस्कार डाल रही है, लेकिन अपने तरीके से। अब वह किसी की कठपुतली नहीं रही, जिसे अपने बच्चे को डांटने का भी अधिकार नहीं हुआ करता था। आज की मां बेटा-बेटी की परवरिश में फर्क नहीं करती। वह बेटे से भी बेधड़क होकर वे सभी काम करवाती है जो अब तक बेटियों के हिस्से आते थे। वह अब बेटी को समझाती है कि पंख उसके पास भी हैं और वह भी उड़ सकती है। साथ ही उसे उड़ने के लिए सही आसमान भी चुनना सिखाती है।
नई-पुरानी परवरिश का नया संगम :-
आज के जमाने की मां अपनी जड़ों से जुड़ी है, पर वह बदलते वक्त के साथ बदलना और बहना भी जानती है। वह परंपरा के साथ-साथ नई दुनिया की टेक्नोलॉजी के बल पर दुनिया भर में हो रहे बदलावों से भी अपने बच्चों को रूबरू करवा रही हैं। वो मॉम गिल्ट को हर दिन पछाड़ कर ऑफिस जाती हैं, पर शाम में घर लौटकर अपने बच्चे से मिलती हैं, तो यह संतोष मन में रहता है कि वे अपने बच्चे को वह सब दे पा रही हैं, जो उन्हें किसी कारण से नहीं मिल पाया था। आज की मां यह समझती हैं कि वो एक सुपरवुमन हैं, पर साथ ही वो उन जगहों पर मदद मांगने से भी नहीं हिचकती, जहां उन्हें मदद की दरकार होती है। वो एक साथ दस भूमिकाएं निभाती हैं और इस क्रम में बेझिझक होकर इस बात को कहती हैं कि वे भरपूर मेहनत कर रही हैं ताकि उनके बच्चे को उनसे प्रेरणा मिले। वो अपने बच्चे के सामने एक अच्छा उदाहरण पेश करने की कोशिश करती हैं। वो निडर होकर अपने और अपने बच्चे के सपनों को पूरा करती हैं।
संतुलन बनाना जानती हैं वूमेन :-
आज की माएं अपने सपनों और जिम्मेदारियों के बीच बहुत खूबसूरती से संतुलन बना रही हैं। सबके पालन-पोषण का तरीका अलग होता है, लेकिन यकीन मानिए ऐसे माहौल में आपका बच्चा एक बेहतर इंसान ही बनकर तैयार होगा। बच्चों को अच्छी परवरिश देने के साथ ही अपने सपनों को भी पूरा कीजिए। जब आप अपने सपनों से समझौता नहीं करेंगी, तभी आपके बच्चे भी आगे बढ़ने का सबक ले पाएंगे। मातृत्व जीवन का सबसे खूबसूरत अहसास है और इसका सुख उठाने में देर न करें। समय हाथ से निकल जाता है और पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचता।