नई दिल्ली (हमारा वतन) मकर सक्रांति का व्रत 15 जनवरी को रखा जाएगा। 14 तारीख की शाम को सूर्य के मकर राशि में आने की वजह से कुछ ज्योतिष दोनों दिन मकर सक्रांति होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन मकर राशि के स्वामी शनि के दर्शन के लिए पिता सूर्य उनकी राशि में आ आते हैं।
तारा ज्योतिष साधना केंद्र के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता पंडित रविंद्र आचार्य ने बताया कि शनिवार यानी 14 जनवरी को सूर्य रात्रि 8.45 बजे मकर राशि मे आएंगे। शाम को मकर सक्रांति लगने पर सक्रांति का पर्व 15 तारीख को मनाया जाएगा, लेकिन 14 तारीख को भी गंगा स्नान, पुण्य जल में स्नान, दान आदि कर सकते हैं। सूर्य के मकर राशि में आने से उत्तरायण आरंभ हो जाता है। अयन का अर्थ होता है गति। सूर्य की दो प्रकार की गति है उत्तरायण और दक्षिणायन। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है और दक्षिणायन को देवताओं की रात।
मकर सक्रांति पर कैसे करें पूजा पाठ – सक्रांति देवताओं का पर्व है। इस दिन तीर्थ क्षेत्र अथवा गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति के अनुसार लोग स्नानादि से निवृत्त होकर विभिन्न वस्तुएं दान करते हैं। सुबह सूर्योदय से पूर्व ही शुद्ध जल से स्नान करना बहुत शुभ माना गया है। स्नान के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य की आराधना और अपने इष्ट और गुरु के मंत्र का जाप बहुत ही उत्तम फल देने वाला है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी मंत्र जाप, यज्ञ और दान किया जाता है। उसका शुभ प्रभाव 10 गुना होता है।
बहन, बेटी और बुआ को दान न करें – इस दिन एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि कुछ लोग अपने बहन, बेटी अथवा बुआ को मकर सक्रांति का उपहार भेजते हैं। उपहार में काले उड़द की स्थान पर मूंग की दाल भेजें क्योंकि इससे बहन, बेटी और बुआ को सुकून मिलता है और हमारा बुध मजबूत होता है। काले उड़द या उड़द की दाल अपने किसी प्रिय को गिफ्ट नहीं करना चाहिए। माना जाता हैं कि ऐसा करने से शनि देव दान देने वाले और दान लेने वालों पर विपरीत प्रभाव डालता है।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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