(हमारा वतन) भारतीय संस्कृति में अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ। उन्होंने चारों वेदों का ज्ञान दिया और सभी 18 पुराणों की रचना की। इस दिन गुरु पूजा की जाती है। महर्षि व्यास को आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का जन्म भी इसी दिन हुआ। वह कबीरदास के शिष्य थे।
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन से चार माह तक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। इसलिए यह चार माह अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने के साथ भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना करें। सत्यनारायण कथा का पाठ या श्रवण करें। इस दिन हर व्यक्ति को अपने गुरु की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि को गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजा से सौ यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के मंत्र का जाप करें। श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। गुरु पूर्णिमा के दिन खीर का भोग लगाने और दान करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।