जयपुर (हमारा वतन) राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने सहकारिता के जरिए देश की समृद्धि के लिए कार्य करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता संस्थाओं ने राष्ट्र विकास में निरंतर महती भूमिका निभाई हैं पर संस्थाओं के आर्थिक व्यवहार में गड़बड़ी से वे डूब जाती है। इसलिए इस बात पर सदैव ध्यान दें कि सहकारी संस्था में कहीं कोई आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं हो। यह नहीं होगा तभी संस्थाएं अच्छे से चलेगी।
बागडे शनिवार को सहकार भारती के महाराष्ट्र राज्य सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आर्थिक आयोजना को प्रजातांत्रिक बनाने के लिए ही देश में सहकारी समितियों को सबसे उपयुक्त माध्यम पाया गया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी योरोपीय देशों डेनमार्क, नीदरलैंड, बेल्जियम, स्वीडन, इटली आदि ने सहकारिता के जरिए बहुत विकास किया है। डेनमार्क में यह आंदोलन इतना सफल रहा है कि व्यावहारिक रूप से हर किसान वहां एक सहकारी समिति का सदस्य है।
राज्यपाल ने कहा कि देश में सहकारिता के जरिए किसानों के लिए सबसे पहले किसी ने कार्य किया है तो वह लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल हैं। सरदार पटेल ने खेड़ा आंदोलन में सहकारिता के जरिए ही सफलता पाई। गुजरात में खेड़ा आंदोलन की सफलता के बाद खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक मिल्क यूनियन पंजीकृत हुई जिसे अमूल के नाम से आज जाना जाता है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल नहीं, वह सहकार पटेल थे। सहकारिता की जो नींव भारत में उन्होंने डाली वह आज वटवृक्ष बन चुका है। गांव-गांव में सहकारिता के जरिए जिस तरह से पशुपालकों को अपने दूध का और अन्य उत्पादों का लाभ मिल रहा है, उससे देशभर में सहकारिता आंदोलन तेजी से विकसित हुआ है।
बागडे ने ‘सहकार से समृद्धि’ की चर्चा करते हुए कहा कि शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों को मजबूत बनाने के लिए सभी मिलकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि सहकारिता में आप काम करें परन्तु अहंकार का भाव नहीं रखें। सब-मिलकर कार्य करते है। कोई छोटा या बड़ा नहीं होता। उन्होंने ‘आत्म निर्भर भारत’ के सपने को पूरा करने के लिए सहकारिता से विकास की राह अपनाने का आह्वान किया। इससे पहले उन्होंने अन्ना साहेब गोडबोले स्मृति पुरस्कार प्रदान किया तथा “सहकार महर्षि” पुस्तक का लोकार्पण किया।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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