जयपुर (हमारा वतन) मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा है कि हिंदी को बढ़ावा देना हम सभी की जिम्मेदारी है क्योंकि यह हमारे मन की अभिव्यक्ति का स्वरूप है। हिंदी न केवल हमारी राजभाषा है बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय एकता की प्रतीक भी है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हर संभव प्रयास करें क्योंकि यह केवल एक संवैधानिक निर्देश ही नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय आवश्यकता भी है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग की ओर से जयपुर के सीतापुरा स्थित जेईसीसी में आयोजित मध्य पश्चिम एवं उत्तरी क्षेत्रों के संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिंदी के सम्मान, प्रयोग और प्रसार में अपनी पूरी शक्ति और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करते हुए हमें हर स्तर पर, हर क्षेत्र में इसे प्रोत्साहित करना चाहिए। यही हमारी असल पहचान है। उन्होंने कहा कि हिंदी भारत की सामाजिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सकती है।
हिंदी भाषा हमारी संस्कृति, सोच और विचारों का सशक्त रूप :-
मुख्यमंत्री ने डिजिटल युग में हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के तकनीकी युग में हिंदी को डिजिटल प्लेटफार्मों पर भी समाहित करना आवश्यक है। इस सम्मेलन में कंप्यूटर पर हिंदी में कार्य करने के नवीनतम तरीकों और सुविधाओं के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है, जो सराहनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, सोच और विचारों का सशक्त रूप है। हमारे प्रदेश में हिंदी का प्रशासनिक क्षेत्र में व्यापक प्रयोग हो रहा है। राजकीय विभागों में हिंदी के मानक प्रयोग को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
शर्मा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य किए हैं। इनके नेतृत्व ने न केवल हमारी सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया है बल्कि देश में आंतरिक सुरक्षा को लेकर अगाध विश्वास पैदा किया है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में हिंदी के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले पुरुस्कृत सभी संस्थानों और व्यक्तियों को बधाई देते हुए कहा कि इन सभी का योगदान हिंदी के प्रति हमारे लगाव को और मजबूत करता है।
राजभाषा हिंदी देश की एकता की सूत्रधार – केंद्रीय गृह राज्य मंत्री :-
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने अपने संबोधन में कहा कि हमें देश की सभी भाषाओं का मान-सम्मान रखते हुए हिन्दी को राष्ट्रीय बोलचाल की भाषा बनाने के लिए प्रयास करना होगा। राजभाषा हिंदी का प्रयोग हमारी एकता का सूत्रधार है। उन्होंने कहा कि भाषा मानव समाज और देश की अंतः शक्ति है। यदि हम भाषा को उसके सीमित रूप में देखें तो यह केवल संप्रेषण का माध्यम मात्र है लेकिन यदि राष्ट्र के संदर्भ में देखा जाए तो भाषा और संस्कृति किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है जिसमें देशवासी संवाद करते हैं।
केन्द्र सरकार राजभाषा को समृद्ध और सक्षम बनाने के लिए कर रही निरंतर काम :-
राय ने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को आखिरी सिरे तक पहुंचाना सरकारी तंत्र की सफलता की कसौटी है। हमारा लोकतंत्र तभी फल फूल सकता है जब हम जन-जन तक उनकी ही भाषा में उनके हित की बात पहुंचाएं और इसमें कोई संदेह नहीं कि राष्ट्रीय स्तर पर राजभाषा हिंदी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही है। उन्होंने कहा कि हमें व्यापक रूप से सरल और सहज भाषा का प्रयोग करके राजभाषा और जन भाषा के बीच दूरी को पाटना होगा ताकि देश का हर नागरिक देश की प्रगति से जुड़ सके। उन्होंने कहा कि देश भर में राजभाषा को समृद्ध और सक्षम बनाने एवं भारतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ाने के लिए बीते 10 वर्षों में महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं।
उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि हिंदी भारत में ही नहीं नेपाल, सूरीनाम, फिजी, मारीशस, और गुयाना के साथ ही दूसरे बहुत से देशों में समान रूप से लोकप्रिय है। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हिंदी ने पूरे देश में राष्ट्र प्रेम और स्वाभिमान की भावना जागृत करने में अमूल्य योगदान दिया था। उन्होंने भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ साहित्यिक कृतियों का अनुवाद हिंदी में तथा हिंदी की श्रेष्ठ कृतियों का अनुवाद अन्य भारतीय भाषाओं में किए जाने पर बल दिया जिससे भाषा सद्भाव के साथ राष्ट्रीय एकता की भावना और मजबूत किया जा सके।
सांसद मंजू शर्मा ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाएं और राजभाषा हिंदी एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी नहीं बल्कि एक-दूसरे की पूरक हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए जिससे जनहित की योजनाओं का लाभ आमजन तक सही मायने में पहुंचे। उन्होंने सम्मेलन का जयपुर में आयोजन करने के लिए जयपुर वासियों की ओर से आभार प्रकट भी किया।
केन्द्रीय राजभाषा विभाग की सचिव अंशुली आर्या ने कहा कि क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलनों के आयोजन का उद्देश्य देश में राजभाषा हिन्दी के प्रभावी कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि हिन्दी के प्रयोग में वृद्धि और भारतीय भाषाओं की समृद्धि से आत्मनिर्भर और विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को अब यह अहसास होने लगा है कि हमारा स्वाभिमान, संस्कृति और भाषा परस्पर जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन हमें अपनी विशिष्ट भाषाई विरासत पर गर्व करते हुए अपने संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का माध्यम भी बना है।
इस अवसर पर सरकारी कामकाज में हिंदी में सर्वात्कृष्ट कार्य करने वाले मध्य, पश्चिम तथा उत्तर भारत के केंद्रीय सरकार के कार्यालयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को पुरस्कृत भी किया गया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का फीता काटकर उद्घाटन किया। इस अवसर पर राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जौली, प्रख्यात साहित्यकार डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष सहित 16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों व उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी