नई दिल्ली (हमारा वतन) देश में UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस का इस्तेमाल हर महीने लगातार बढ़ रहा है | यूपीआई ट्रांजैक्शन ने बीते वक्त में रिकॉर्ड तोड़े हैं, और इससे पेमेंट करना, शॉपिंग करना, बिल भरना, ये सबकुछ कितना आसान भी तो हो गया है, लेकिन यूपीआई यूजर्स के लिए एक बड़ी खबर है |
बहुत से यूपीआई आईडी होल्डर्स दिसंबर के बाद अपनी आईडी को पूरी तरह यूज नहीं कर पाएंगे, इसके पीछे NPCI (National Payment Corporation of India) का एक फैसला है | एनपीसीआई एक सरकारी संस्था है जो देश में रिटेल पेमेंट और सेटलमेंट सिस्टम देखती है | NPCI ही UPI पेमेंट सिस्टम को रेगुलेट करता है |
पेमेंट रेगुलेटरी ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर्स और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स से कहा कि वो ऐसी यूपीआई आईडीज़ को डीएक्टिवेट करें, जिन्होंने एक साल से अपनी आईडी से कोई ट्रांजैक्शन नहीं किया है | 31 दिसंबर तक ऐसे इनएक्टिव कस्टमर्स की यूपीआई आईडी को डीएक्टिवेट कर दिया जाएगा | ऐसी आईडीज़ पर इनवर्ड ट्रांजैक्शन नहीं हो पाएगा यानी फंड नहीं आ पाएगा, लेकिन पेमेंट कर सकेंगे |
दरअसल, NPCI के सामने इनएक्टिव यूपीआई आईडी की समस्या है | चूंकि हमारी यूपीआई आईडी हमारे फोन नंबर से लिंक होती है और बहुत से यूजर्स अपना फोन नंबर बदलते हैं, लेकिन अपनी आईडी बंद नहीं करते | बाद में वो मोबाइल नंबर किसी और को अलॉट किया जाता है, तो इनकरेक्ट पेमेंट की समस्या खड़ी होती है | ऐसे में इनएक्टिव आईडी होने से ट्रांसफर किसी और यूजर को जा सकता है| कहा जा रहा है कि इस फैसले का असर सबसे ज्यादा प्रीपेड नंबर यूज करने वालों पर होगा, क्योंकि अधिकतर वही अपना नंबर ज्यादा चेंज करते हैं, पोस्टपेड वालों की संख्या कम होगी |
अगर आपकी यूपीआई आईडी भी एक साल से इनएक्टिव पड़ी हुई है या आपके किसी पुराने नंबर से आपकी कोई आईडी लिंक है तो उसे डीएक्टिवेट करने के लिए बैंक की ओर से आपके पास मैसेज या ईमेल आएगा, अगर आपकी ओर से कोई रिस्पॉन्स नहीं जाता है तो बैंक उसे डिसेबल कर दे |
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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