नई दिल्ली (हमारा वतन) ठंड के मौसम में गरमागरम रज़ाई में घुसकर नींद लेने का मज़ा ही कुछ और होता है। जैसे ही तापमान में गिरावट शुरू होती है, हम सभी का मन घर में बंद होकर नींद लेने का करने लगता है। इस दौरान धूप भी कम निकलती है, जिसकी वजह से हम बाहर जाने की जगह घर में हीटर के आगे बैठकर चाय या कॉफी पीना पसंद करते हैं। हालांकि, ऐसा सिर्फ आपके साथ ही नहीं होता, सर्दी में हम सभी आलसी हो जाते हैं, और खूब नींद भी आती है। दरअसल, सर्दी का मौसम हमारे सर्कडियन लय को प्रभावित करता है।
सर्दी के मौसम में क्यों ज़्यादा आती है नींद? – सर्कडियन स्लीप साइकल हमारे शरीर की प्रोग्रामिंग है, जो हमें बताती है कि कब सोना है और कब उठ जाना है। मनुष्य आमतौर पर तब सोते हैं जब अंधेरा हो जाता है और धूप नहीं निकलती, वहीं सुबह के समय एक्टिव होते हैं। अंधेरा स्लीप हॉर्मोन, मेलाटोनिन के उत्पादन को बढ़ावा देता है, जो हमारी नींद को नियंत्रित करता है। वहीं, रोशनी इस प्रोसेस को धीमा करती है। हालांकि, सर्दी के मौसम में दिन छोटे होते हैं, सेरोटोनिन हॉर्मोन का स्तर कम हो जाता है, जिससे घबराहट और अवसाद बढ़ता है। हमारा शरीर इसी वजह से धीमा पड़ने लगता है। मेलाटोनिन हमारी आंखों में मौजूद फोटोरिसेप्टर सेल्स के अनुसार काम करता है। जैसे ही हमारे दिमाग तक यह बात पहुंचती है कि रोशनी कम हो रही है, मेलोटोनिन का स्तर बढ़ता है और हमें नींद आने लगती है।
सर्दी में आलस से कैसे छुटकारा पा सकते हैं? – मेडिकल सर्किल के अनुसार, हम अपने दिमाग को कई तरह से कंट्रोल कर सकते हैं। इसकी मदद से आप सर्दियों में होने वाले आलस से भी बच सकते हैं:
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दिन के समय में अपने कमरे में रोशनी आने दें, खिड़की-दरवाज़ों से पर्दों को हटा दें।
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चाहे कितनी भी ठंड क्यों न हो खाना बिस्तर पर बैठकर न खाएं, हमेशा डाइनिंग टेबल पर बैठें।
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अगर आप ऑफिस में हैं, तो फिर हर आधे-एक घंटे में 5 से 10 मिनट के लिए ज़रूर चलें।
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छुट्टियों के दौरान भी 8 घंटे की ही नींद लें, ताकि आपकी स्लीप साइकिल न बिगड़े।
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डाइट में हल्का खाना ही खाएं और प्रोसेस्ड, मीठा और तला हुआ खाने से बचें।
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सुबह या फिर शाम को घर से बाहर निकलें और एक्सरसाइज़ ज़रूर करें।
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ठंड में हमें प्यास कम लगती है, इसलिए पानी पीना न भूलें।
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स्वस्थ खाना खाएं, डाइट में मौसमी फल और सब्ज़ियों को ज़रूर शामिल करें।
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सर्दी के डर से घर पर न बैठें। बाहर निकलें दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलें।
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विटामिन-डी लेने के लिए रोज़ धूप में भी बैठें।