जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
चौमूं (हमारा वतन) देश के जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अशोक पनगड़िया का आज जयपुर में निधन हो गया। डॉ अशोक अपने बैच के सबसे होशियार स्टूडेंट थे। सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (SMS) के स्टूडेंट रहे डॉ. पनगड़िया न्यूरोलॉजी में डॉक्टरेट इन मेडिसिन (DM) की डिग्री (न्यूरोलॉजी में) पाने वाले राजस्थान के पहले डॉक्टर थे। पनगड़िया उस समय के पहले डॉक्टर थे, जो PGI चंडीगढ़ से न्यूरोलॉजी में (DM) डिग्री करके आए थे। उन्होंने अपने समय मिर्गी रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए कई प्रयास किए थे। डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ बेल्ट में करीब 5-7 साल तक खूब कैंप लगाए थे।
एक करोड़ रुपए महीने का पैकेज ठुकराया
SMS मेडिकल कॉलेज से रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने अपने मरीजों को घर पर ही देखना जारी रखा। SMS मेडिकल कॉलेज में 30 साल से ज्यादा समय तक शिक्षक के तौर पर अनुभव रखने वाले डॉ.पनगडिया राष्ट्रीय न्यूरोलॉजी अकादमी के अध्यक्ष रहने के साथ ही अन्य कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। उनके इसी अनुभव को देखते हुए देश के एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल ने उन्हें अपने साथ जुड़ने का ऑफर भी दिया था। इसके लिए उस ग्रुप ने एक करोड़ रुपए महीने का पैकेज भी निर्धारित किया था, लेकिन डॉक्टर पनगड़िया ने मरीजों की सेवा के लिए इस ऑफर को ठुकरा दिया था। वे अपने मरीज को जब दूर से चलकर आता देखते थे तो उनकी तकलीफ का अंदाजा लगा लिया करते थे। जब कोई मरीज पहली बार उन्हें अपनी बीमारी दिखाने आता था, तब वे उनकी बातें सुनकर ही यह अंदाजा लगा लेते थे कि उस व्यक्ति को तकलीफ क्या है? कहां जाता है कि वे अपनी मरीजों से जांचें भी बहुत ही कम करवाया करते थे।
2019 में हासिल की थी मेडिकल साइंस सेक्टर की सबसे बड़ी डिग्री
डॉक्टर पनगड़िया ने 1972 में SMS मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री लेने के बाद इसी कॉलेज से 1976 में MD की। इसके बाद उन्होंने PGI चंडीगढ़ से न्यूरोलॉजी में DM की डिग्री हासिल की और वापस जयपुर आ गए। 1992 में राजस्थान सरकार की ओर से मेरिट अवॉर्ड मिला। वे SMS में न्यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष रहे। 2006 से 2010 तक प्रिंसिपल रहे। 2002 में उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड दिया। 2014 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। साल 2019 में उन्हें मेडिकल साइंस सेक्टर की सबसे बड़ी D.Sc की डिग्री भी हासिल की थी, जो प्रवरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल में दी गई।
पनगड़िया के गांव में शोक की लहर
डाॅ. पनगड़िया मूलत: भीलवाड़ा के सुवाणा कस्बे के रहने वाले थे। इनका आज भी पैतृक गांव में घर हैं। इनके पिता स्व. बालूराम पनगड़िया की स्मृति में गांव में एक पुस्तकालय है। उनका गांव से काफी जुड़ाव था। इनके भाई अर्थशास्त्री प्राेफेसर अरविंद पनगड़िया समेत पूरे परिवार का भीलवाड़ा के निकट सांगानेर में सिंदरी के बालाजी का मंदिर में अटूट आस्था हैं। गांव के लाेग बताते हैं कि ये लाेग जब भी सुवाणा आते हैं ताे सिंदरी के बालाजी के दर्शन करने जरूर जाते हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षाें से इनका गांव में आना-जाना कम था, लेकिन फाेन पर संपर्क में रहते हैं। आज उनके निधन की सूचना पर उनके गांव में भी शोक की लहर दौड़ पड़ी।