जयपुर (हमारा वतन) इस बार देवशयनी एकादशी 29 जून को है। देवशयनी एकादशी से चतुर्मास शुरू हो जाएगा। इसके बाद सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह तक योग निद्रा में रहेंगे। योग निद्रा में होने के कारण देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी तक कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा।
अब चार माह के लिए देवगण विश्राम करेंगे। इसी के साथ विविध संस्कारों पर रोक लग जाएगी। भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में शयन करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता पंडित रविंद्र आचार्य ने बताया कि चातुर्मास शुरू होते ही चार महीनों के लिए सभी प्रकार के मांगलिक कार्य विवाह संस्कार और धार्मिक अनुष्ठान वर्जित रहेगा।
पंडित रविंद्र आचार्य ने बताया कि ईश्वर देवशयनी एकादशी ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो जाएगी। आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी तिथि की शुरुआत 29 जून की सुबह 3.18 बजे से हो जाएगी और देवशयनी एकादशी तिथि का समापन 30 जून की सुबह 2.42 बजे होगा।
इस विधि से पूजा पर मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद – पंडित रविंद्र आचार्य ने कहा विष्णु भगवान की आराधना के लिए एकादशी व्रत से कोई भी प्रभावशाली व्रत नहीं है। दिन जप-तप, पूजा-पाठ, उपवास करने से मनुष्य श्री हरि की कृपा प्राप्त कर लेता है। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत ही प्रिय होती है। बिना तुलसी दल के भोग इनकी पूजा को अधूरा माना जाता है। ऐसे में देवशयनी एकादशी पर तुलसी की मंजरी, पीला चंदन, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतु फल एवं धूप-दीप, मिश्री आदि से भगवान वामन की भक्ति-भाव से पूजा करनी चाहिए।
पदम् पुराण के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन कमललोचन भगवान विष्णु का कमल के फूलों से पूजन करने से तीनों लोकों के देवताओं का पूजन हो जाता है। रात के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य, भजन-कीर्तन और स्तुति द्वारा जागरण करना चाहिए।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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