नई दिल्ली (हमारा वतन) गर्मियों का मौसम शुरू होते ही लोग अपनी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करने लगते हैं, जिनकी तासीर ठंडी होती है। ऐसी चीजें, जिनका सेवन करने पर आपकी बॉडी हाइड्रेट रहने के साथ कूल भी बनी रहती है। ऐसी ही एक चीज में तरबूज का नाम भी शामिल है।
तरबूज में फाइबर की मात्रा अच्छी होने की वजह से इसका सेवन गर्मियों में फायदेमंद माना जाता है। लेकिन समर सीजन में बढ़ती तरबूज की डिमांड की वजह से मुनाफाखोर इसे समय से पहले पकाने के लिए इसमें केमिकल भरे इंजेक्शन लगा देते हैं। केमिकल वाले इन तरबूजों को खाने से लोगों को सेहत से जुड़ी कई समस्याएं परेशान कर सकती हैं। ऐसे में सेहतमंद बने रहने के लिए आइए जानते हैं कैसे करें मीठे और अच्छे तरबूज की पहचान।
टिशू पेपर से करें पहचान – तरबूज काटने के बाद उसके ऊपर एक टिशू पेपर रखकर थोड़ी देर बाद हटा दें। अगर टिशू पेपर पर लाल रंग दिखता है, तो समझ जाएं तरबूज को केमिकल से पकाया गया है।
पानी में डालकर लगाएं पता – तरबूज का एक टुकड़ा काटकर उसे पानी से भरे एक पैन में डालें। अगर पानी का रंग बदल जाता है तो समझ जाएं कि तरबूज को केमिकल से पकाया गया है।
स्वाद – केमिकल से पकाए गए तरबूज की मिठास प्राकृतिक रूप से पके तरबूज से अलग होती है। अगर तरबूज काटने पर भीतर से लाल है लेकिन उसमें मिठास कम है तो समझ जाएं कि यह केमिकल से पका तरबूज है।
सुराख की करें पहचान – अक्सर इंजेक्शन लगे तरबूज में भीतर की तरफ छोटा सा सुराख बना होता है, जिसे ज्यादातर लोग कीड़े-मकोड़े या प्राकृतिक सुराख मान लेते हैं। लेकिन तरबूज में ये निशान इंजेक्शन का हो सकता है।
तरबूज के बीच में दरार या गड्ढा – अगर तरबूज काटने के बाद आपको उसके बीच में दरार या छेद जैसा कुछ दिखाई देता है, तो हो सकता है तरबूज को इंजेक्शन लगाकर पकाया गया हो। प्राकृतिक रूप से पके फल के बीच में इस तरह का छेद मौजूद नहीं होता है।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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