नई दिल्ली (हमारा वतन) चंद्रयान-3 चंद्रमा के कक्षीय पथ के करीब लगातार पहुंच रहा है, जहां से यह धीरे-धीरे चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ेगा। इसके लिए 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को इस मिशन को लेकर यह अपडेट दिया।
उन्होंने बताया, ‘पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने के बाद यह चंद्रमा के कक्षीय पथ में प्रवेश करेगा। यह धीरे-धीरे इसकी सतह की ओर आगे बढ़ेगा। अगस्त के पहले सप्ताह तक इसके कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है। इसके बाद यह पर्यावरण को स्कैन करके यह आकलन करेगा कि चंद्र सतह के दक्षिणी ध्रुव का कौन सा हिस्सा लैंडिंग के लिए सही होगा। इसके बाद 23 अगस्त को यह चांद पर उतरेगा।’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों गुरुवार को चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में ऊपर उठाने की चौथी कवायद सफलतापूर्वक पूरी की थी। यह कार्य इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से किया गया।
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इस तरह की अगली कवायद 25 जुलाई को दोपहर 2 और 3 बजे के बीच किए जाने की योजना है। इसने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस के अवसर पर चंद्रयान-3 को चंद्रमा के और करीब पहुंचा दिया है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इससे पहले कहा था, ‘अंतरिक्ष यान चंद्रमा के सफर पर है। अगले कुछ दिनों में यह (लैंडर को चंद्रमा की सतह पर उतारने का कार्य) कर दिखाएगा।’ उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी व जागरूकता प्रशिक्षण (स्टार्ट) कार्यक्रम 2023 के उद्घाटन भाषण में यह बात की। उन्होंने कहा, ‘मैं आश्वस्त हूं कि जहां तक विज्ञान की बात है, आप इस चंद्रयान-3 मिशन के जरिए कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करेंगे।’ मालूम हो कि लैंडर को 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतारने की योजना है।
चंद्रयान-3 अंतरक्षि यान को इसरो के सबसे भारी लॉन्च वाहन एलवीएम3-एम4 के जरिए सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। लगभग 16 मिनट की उड़ान के बाद इसे 36,500 किमी गुणा 170 किमी की दीर्घवृत्तीय पार्किंग कक्षा में सटीक रूप से स्थापित किया गया। चंद्रमा की सतह पर एक पूर्ण सॉफ्ट लैंडिंग कर भारत यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला चौथा देश बन जाएगा। केवल अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन ने अब तक यह उपलब्धि हासिल की है।
भारत ने जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्च करने की पहली कोशिश की थी लेकिन लैंडर क्रैश होने के कारण यह मिशन लगभग 99.99 प्रतिशत ही सफल रहा था। इससे इसरो के भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों के लिए सहायक बनने की उम्मीद है। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है जो चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग में एंड-टू-एंड क्षमता का प्रदर्शन करेगा।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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