नई दिल्ली (हमारा वतन) शिक्षा विभाग अब निजी स्कूलों पर नकेल कसने जा रहा है। स्कूल की बाल वाहिनियों में दुर्घटना, अनियमितता, मारपीट, छेड़छाड़ सहित अन्य वारदातों को लेकर सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। बाल वाहिनियों के निरीक्षण के लिए स्कूल की यातायात समिति गठित करनी होगी। इसमें अभिभावक शामिल होंगे। ऐसे में अभिभावक भी बाल वाहिनियों की जांच कर सकेंगे। शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों के लिए गाइडलाइन जारी की है।
इसमें जिला शिक्षा अधिकारी सहित एसपी व जिला परिवहन अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है। इसमें विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आदेश के तहत स्कूल जस का रंग सुनहरी पीला ही होगा। आगे-पीछे स्कूल बस लिखना होगा। अनुबंधित बस, ऑटो, कैब या वैन पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखने के साथ पीछे व साइड में 150 मिमी चौड़ाई की सुनहरी पीले रंग की पट्टी बनानी होगी। दरअसल बाल वाहिनियों से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ही अब बाल वाहिनियों की समय समय पर जांच होगी और इसमें अभिभावक भी शामिल होंगे। बस में ड्राइवर से संपर्क से संबंधित जानकारियां, वाहन स्वामी का नाम, चाइल्ड हेल्प लाइन, यातायात पुलिस, परिवहन विभाग हेल्पलाइन नंबर और वाहन की पंजीयन संख्या चमकीले रंग में स्पष्ट रूप से लिखना होगा। चालक के पास पांच साल का अनुभव व पांच वर्ष पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना आवश्यक है।
स्कूल स्तरीय प्रबंधन संबंधी सदस्य व 5 अभिभावकों को शामिल कर स्कूल स्तरीय बाल वाहिनी यातायात समिति का गठन करना होगा, जो वाहनों का नियमित निरीक्षण करेगी। बाल वाहिनी से कक्षावार आने वाले विद्यार्थियों की सूची कक्षा अध्यापक के पास होगी। कक्षा अध्यापक सप्ताह में एक दिन विद्यार्थियों से पेटिका के माध्यम से प्राप्त समस्याओं के समाधान के लिए रिपोर्ट तैयार कर संस्था प्रधान को उपलब्ध कराएगा। संस्था प्रधान प्रत्येक माह के अंतिम कार्य दिवस को वाहिनी संचालकों के साथ बैठक करेंगे और समस्याओं का निस्तारण करेंगे। जिला परिवहन अधिकारी नियमित रूप से अपने स्तर पर या संयुक्त अभियान में बाल वाहिनी वाहनों की जांच करेंगे और त्रैमासिक रिपोर्ट तैयार करेंगे।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी