नई दिल्ली (हमारा वतन) 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गुजरात में जन्मे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पिता का नाम कर्मचन्द और मां का नाम पुतली बाई था। महात्मा गांधी का कहना था कि कोई भी देश तब तक उन्नति नहीं कर सकता, जब तक अपनी भाषा में नहीं बोलता। बापू के विचार पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।
महात्मा गांधी की जीवनी 170 से भी अधिक भाषाओं में लिखी गई। वह स्वयं भी महान लेखक थे। उन्होंने कई समाचार पत्रों का हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा में संपादन किया। 1915 में जब गांधी जी शांति निकेतन में रवींद्र नाथ टैगोर से मिले तो उन्होंने टैगोर को नमस्ते गुरुदेव कहकर संबोधित किया। तब टैगोर ने उनसे कहा कि अगर मैं गुरुदेव हूं तो आप महात्मा हैं। टाइम मैगजीन ने 1930 में गांधी जी को मैन ऑफ द ईयर चुना था।
गांधीजी ने अपनी आत्मकथा गुजराती में लिखी। श्री महादेव देसाई जो गांधीजी के निजी सहायक थे उन्होंने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया। महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडियो से संदेश प्रसारित करते हुए उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा था। 1930 में गांधी जी अपने आश्रम से लगभग 400 किलोमीटर पैदल चले जिसे दांडी मार्च के रूप में याद किया जाता है।
1948 में गांधी जी को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया था। उनकी हत्या हो जाने पर नोबेल पुरस्कार कमेटी ने उस साल शांति का पुरस्कार किसी को नहीं देने का निर्णय लिया। गांधी जी को कुल पांच बार नोबेल पीस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। भारत में कुल 53 बड़ी सड़क महात्मा गांधी के नाम पर हैं। विदेश में भी कुल 48 सड़कों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर हैं।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
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