जयपुर (हमारा वतन) हारे का सहारा कहे जाने वाले खाटू श्याम के मंदिर के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। कहा जाता है कि बाबा अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं। लेकिन फाल्गुन मास में आने वाली एकादशी के दिन यहां भक्तों का तांता लगता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन बर्बरीक ने अपना शीश कृष्ण जी को दान में दिया था। वैसे तो हर एकादशी पर भी यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं, लेकिन फाल्गुन के महीने की एकादशी और द्वादशी पर यहां लक्खी मेला भी आयोजित किया जाता है। लाखों की संख्या में लोग एकादशी और द्वादशी पर बाबा के दर्शन को आते हैं।
आपको बता दें कि इस साल श्री खाटू श्याम बाबा का मेला फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष को लगेगा। होली से पहले 12 मार्च 2024 से मेले की शुरुआत होगी। यह मेला 10 दिनों तक चलता है। दस दिनों तक लगने वाले इस मेले को लक्खी मेला भी कहा जाता है। मेला 21 मार्च 2024 यानी द्वादशी तक चलेगा।
ऐसा कहा जाता है फाल्गुन मास में ही बर्बरीक ने अपना शीश काटकर भगवान कृष्ण को दान में दिया था, तभी से भगवान ने उन्हें वचन दिया कि तुम भविष्य में मेरे नाम से पूजे जाओगे। तभी से बर्बरीक का नाम खाटू श्याम पड़ा। श्रीकृष्ण को मालूम था कि युद्ध में कौरव हारेंगे और हारने वाले का साथ देने वाले बर्बरीक ने अगर उनका साथ दिया तो पांडवों की जीत नहीं हो पाएंगी। इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनके शीश का दान मांग लिया।
दरअसल खाटू नरेश को हारे का सहारा कहा जाता है। क्योंकि जब ये महाभारत के युद्ध में जा रहे थे तो इन्होंने पूछा कि माता मैं युद्ध में किसका साथ दूं तो इनकी माता ने कहा कि जो हार रहा हो, तुम उसका साथ देना। तभी से खाटू श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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