नई दिल्ली (हमारा वतन) शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। कल शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। नवरात्रि के सातवें दिन मां के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना की जाती है। कल मां दुर्गा के सातवें स्वरूप की विधि- विधान से पूजा की जाएगी। मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं। मां के गले में माला है जो बिजली की तरह चमकते रहती है। मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। मां के हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है। आइए जानते हैं मां कालरात्रि पूजा- विधि, मंत्र, भोग, आरती, महत्व और शुभ मुहूर्त…
मां कालरात्रि पूजा विधि –
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सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
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मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
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मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को लाल रंग पसंद है।
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मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
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मां को रोली कुमकुम लगाएं।
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मां को मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल अर्पित करें।
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मां कालरात्रि को शहद का भोग अवश्य लगाएं।
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मां कालरात्रि का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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मां की आरती भी करें।
मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र – ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।
मां कालरात्रि का मंत्र –
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व –
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मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है।
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मां कालरात्रि की कृपा से बुरी शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
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मां कालरात्रि दुष्टों और शत्रुओं का संहार करने वाली हैं।
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मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने से तनाव भी दूर हो जाता है।