शिष्यों की सृजनात्मक क्षमता को विकसित करते हैं गुरु- प्रो.त्रिपाठी

लाडनूं (हमारा वतन) जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में शिक्षक पर्व पर चल रहे पंच दिवसीय कार्यक्रमों में अंतिम दिन गुरु-शिष्य संबंधों पर एक कार्यशाला का आयोजन रखा गया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने भारतीय सनातन जीवन मूल्यों में निहित गुरु के महत्व की व्याख्या करते हुए धर्मपाल-कुमारिल, शंकराचार्य-सुरेश्वराचार्य, कृष्ण-अभिमन्यु, द्रोणाचार्य-अर्जुन, वल्लभाचार्य-सूरदास, नरहरीदास-तुलसीदास, कुमारिलभट्ट-मंडन मिश्र, गुरु रामदास-छत्रपति शिवाजी, रामकृष्ण परमहंस-विवेकानंद के साथ आचार्य तुलसी-आचार्य महाप्रज्ञ एवं आचार्य महाप्रज्ञ-आचार्य महाश्रमण तक की आदर्श एवं स्वस्थ गुरु-शिष्य परंपराओं के महत्व को विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से अभिव्यक्त किया।

प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि गुरु शब्द का उत्तरदायित्व ही शिष्यों की सृजनात्मक क्षमता को विकसित करना रहा है और इस आदर्शवादीता एवं कसौटी पर भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा अब तक खरा उतरती रही है। इसी कारण भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा समूचे विश्व के लिए प्रेरक कही जा सकती है। कार्यशाला में छात्राओं ने भी गुरु रामदास-शिवाजी, रामकृष्ण परमहंस-विवेकानंद, गुरु द्रोणाचार्य-अर्जुन आदि से संबंधित ऐतिहासिक प्रसंगों पर नाट्य प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजक अभिषेक चारण ने किया। अंत में कार्यक्रम सह-संयोजक प्रेयस सोनी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो. रेखा तिवारी, डॉ. प्रगति भटनागर, डॉ. बलबीर सिंह, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़, प्रगति चौरड़िया, देशना चारण एवं तनिष्का शर्मा आदि उपस्थित रहे।

इसी श्रृंखला में छात्राओं को गुरु-शिष्य संबंधों के आदर्श पर आधारित हिंदी फिल्म ‘तारे जमीन पर’ दिखाई गई। स्मार्ट बोर्ड के जरिए छात्राओं के लिए इस फिल्म का प्रसारण किया गया। कार्यक्रम संयोजक अभिषेक चारण व सह संयोजक प्रेयस सोनी ने बताया कि छात्राओं में फिल्म को लेकर अच्छा उत्साह रहा। प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने फिल्म को प्रेरणास्पद बताया तथा छात्राओं के हितार्थ ऐसी प्रेरक हिंदी फिल्मों को गुरु-शिष्य संबंधों की पुनर्व्याख्या के लिए वर्तमान में महनीय कदम माना।

शिक्षा विभाग में अध्ययनरत छात्राध्यापिकाओं को ‘लेट्स गो टू स्कूल’ फिल्म दिखाई गई। यह शिक्षा का महत्व एवं जीवन-संघर्ष को प्रदर्शित करने वाली इस फिल्म में एक लड़की के संघर्ष को चित्रित किया गया है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने उन्हें प्रेरित किया तथा छात्राध्यापिका ऐश्वर्या सोनी ने शिक्षक पर्व की गतिविधियों को प्रेरणादायी बताया। अंत में डा. गिरीराज भोजक ने पांच दिवसीय शिक्षक पर्व की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर डा. मनीष भटनागर, डा. अमिता जैन, डा. अजित पाठक, प्रमोद ओला, कुशल जांगिड़ आदि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी 

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