नई दिल्ली (हमारा वतन) कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने एक बार फिर से चिंताएं बढ़ा दी हैं। जब से सरकार की तरफ से पेट्रोल और डीजल के एक्साइज ड्यूटी में कटौती हुई है तब से अब तक कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरेल 10 डाॅलर का इजाफा देखने को मिला है। बता दें, भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 85% कच्चा तेल बाहर से मांगता है। यही वजह है कि बढ़ती कच्चे तेल की कीमतें एक बार फिर सरकार के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी करने जा रही है।
ब्लूमबर्ग के अनुसार 31 दिसंबर 2021 को एक बैरेल क्रूड ऑयल की 77.78 डाॅलर थी। जोकि अब बढ़कर 122.01 डाॅलर हो गई है। यानी बीते 5 महीने में 45 बैरेल का इजाफा क्रूड ऑयल में देखने को मिला है।
कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे की वजह क्या है?
1- लीबिया में सप्लाई का प्रभावित होना।
2- रूस का सरप्लस तेल अब नहीं बचा है।
3- रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से खड़ा हुआ नया संकट
4- Opec ने प्रोडक्शन बढ़ाया है लेकिन वह काफी नहीं है।
5- कोविड 19 के मामलों में कमी आने के बाद तेल की बढ़ती डिमांड
केंद्र सरकार ने 25 मई को आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः आठ रुपये और छह रुपये प्रति लीटर की कटौती करने की घोषणा की थी। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम कम से क्रमशः 9.5 रुपये और सात रुपये तक गिर गए थे।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी
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