जयपुर,चौमूं (हमारा वतन) चौमूं में 29 जुलाई को दिनदहाड़े अशोक विहार स्थित एक मकान में वृद्ध महिला की हत्या के मामले का पुलिस ने 48 घंटे में ही खुलासा कर दिया है | इस कलियुग में एक बेटे ने ही माँ का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी |
पुलिस उपायुक्त जयपुर पश्चिम प्रदीप मोहन शर्मा ने बताया कि 30 जुलाई को परिवादी मुकेश शर्मा ने थाने में माँ की हत्या को लेकर एक रिपोर्ट करवाई थी | जिस पर पुलिस ने टीम घठित कर कार्यवाही को अंजाम दिया |
सनसनीखेज घटना को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जयपुर पश्चिम रामसिहं व सहायक पुलिस आयुक्त चौमूं राजेन्द्र सिहं निर्वाण को विशेष दिशानिर्देश दिए तथा चौमू थानाधिकारी हेमराज सिहं गुर्जर और डीएसटी टीम प्रभारी नरेन्द्र सिंह खींचड पुलिस निरीक्षक के नेतृत्व दो विशेष टीम गठित की गई।
पुलिस ने बताया कि मृतका की लाश का पोस्टमार्टम करवाकर मृत्यु के कारण की जानकारी की गयी तो यह शक यकीन में बदल गया कि मृतका की मृत्यु गला घोंटने से ही हुयी है। डीएसटी टीम के द्वारा घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग खंगालकर आरोपियों की पहचान करने का कार्य किया गया व थानाधिकारी के नेतृत्व में घटित टीम द्वारा मृतका के परिजनों के बारे में जानकारी प्राप्त की गयी। गठित टीमों द्वारा लगातार दिन रात मेहनत कर प्रकरण का खुलासा करने में लगभग 48 घंटे में सफलता हासिल की। उक्त हत्याकाण्ड व लूट का आरोपी मृतका का छोटा बेटा देवेश शर्मा पुत्र स्व. श्री बद्रीनारायण उम्र 33 साल ही निकला जिसने इस ब्लांइड हत्याकाण्ड व लूट को अपने एक साथी के साथ अंजाम दिया था।
आरोपी ने ऐसे दिया वारदात को अंजाम-
पूछताछ के दौरान मुल्जिम देवेश ने बताया कि मेरे स्वर्गीय पिता ने व्यवसाय करके काफी प्रोपर्टी अर्जित की थी जो इस प्रकार से है- कैलाश विहार चौमूं में 700 वर्गगज का प्लॉट, रामनगर रावणगेट 400 वर्गगज का प्लाट, आदित्य नगर मोरिजा रोड 400 वर्गगज का प्लॉट, अशोक विहार 500 वर्गगज का प्लॉट, मोरिजा रोड 300 वर्गगज का प्लॉट, जमशेदपुर में एक प्लॉट व एक मकान व 8 दुकान, रोड नम्बर 14 पर एक प्लॉट, चौमूं मण्डी में दुकान, गांव में मकान व 16 दुकान, पिताजी का देंहात वर्ष 2003 में होने के बाद धीरे-धीरे मैं चौमूं अनाज मण्डी में स्थित दुकान का काम संभाल लिया और मेरा बडा भाई मुकेश एमबीबीएस करने लग गया । उसके बाद मैंने दुकान की कमाई से ही अशोक विहार में ही 455 वर्गगज का एक प्लाट, विधाधर नगर में 180 वर्गगज की प्लॉट, विधाधर नगर में ही एक फ्लेट, मगध नगर में 622 वर्गगज का एक प्लॉट, जयपुर रोड में जहां वर्तमान में मेरे भाई ने शर्मा डायग्नोस्टिक सेन्टर खोल रखा है मेरी कमाई से खरीदे थे। वर्ष 2015-16 से ही मुझे व्यापार में घाटा होने लगा और मुझ पर धीरे धीरे कर्जा होने लगा तो मैंने मेरे भाई से प्रोपर्टी का बंटवारा करने के लिये बार बार कहा लेकिन वह तैयार नहीं हुआ। कुछ लोगों की मध्यस्थता से वर्ष 2018 में मुझे मण्डी वाली दुकान व अशोक विहार वाला खाली प्लॉट दे दिया गया बदले में मुकेश ने डायग्नोस्टिक सेन्टर वाली कॉर्मिशियल जमीन, विधाधर नगर वाला प्लॉट व फ्लेट ले लिया जो कि मुझे मिली प्रोपर्टी से 1.5 करोड से अधिक की थी इसके बाद भी मैं चुप रहा। वर्ष 2019 में मेरी शादी हो गयी जब मेरी पत्नी घर आयी उसी समय से घर में झगडे शुरू हो गये और मुझे मजबूरन अपनी पत्नी के साथ जयपुर बालाजी टावर में किराये के फ्लेट में शिफ्ट होना पडा। इसके बाद भी मैंने कई बार भाई व मम्मी से सम्पति का बंटवारा करने के लिये कहा लेकिन नहीं माने और यह जवाब दिया कि जब तक मम्मी जिंदा है सम्पति का बंटवारा नहीं होगा। मेरे उपर करोडों का कर्जा हो गया और मांगने वाले मण्डी में स्थित मेरी दुकान पर रोज चक्कर काटने लग गये तो मैंने पिछले 2 महिने से दुकान पर बैठना बंद कर दिया । मेरे बुरे हालात के बारे में मैंने मेरे पास काम करने वाले केशव से कई बार चर्चा की आखिरी बार मैंने व केशव ने मेरी आर्थिक समस्याओं के बारे में 26 जुलाई को बातचीत की तो मैंने केशव से कहा जब तक मम्मी जिंदा है। सम्पति का बंटवारा नहीं होगा अगर तु मेरा साथ देगा तो मेरी मम्मी की हत्या कर देते है किसी को पता भी नहीं चलेगा और बंटवारे में करोडों रूपये की सम्पति मुझे मिलेगी जिससे मैं हस्तेडा गांव में ही तेरे को खल काकडे की बडी दुकान खुलवाकर दे दूंगा और नकद रूपये भी दे दूंगा जिससे तू अपनी जिंदगी मजे से जी लेगा। दो दिन के सलाह मशवरे के बाद आखिरकार मैंने आखिरी प्लान तैयार कर लिया और हस्तेडा निवासी मनोज की वेगनार कार मांग ली और मेरी एस-क्रोस गाडी को अशोक विहार में घर के बाहर खडी कर दी ताकि लोग शक नहीं करें। दिनांक 28 जुलाई को मैं बाद दोपहर जयपुर फ्लेट से रवाना होकर गोविन्दगढ पहुंचा और केशव को मैंने साथ ले लिया। दिनभर हम दोनों वेगनार कार में इधर – उधर घूमते रहे और रात को 9.30 बजे के आस पास हम दोनों ने अपने अपने मोबाईल बंद कर लिये जिससे बाद में पकडे जाने की सम्भावना नहीं रहे । साथ ही चूंकि मैं कॉलोनी में सीसीटीवी कैमरे कहां कहां लगे हुये है जानता था। इसलिए उनसे बचने के लिये हम दोनों लगभग 9.45 पीएम पर मंगलम सिटी के रास्ते से कचोलिया रोड पर आये और उसके बाद एक गली से घर के सामने साईड में वेगनार गाडी खडी कर दी । चूंकि मेरी मम्मी कभी भी मैन गेट के ताला नहीं लगाती थी। इसलिए मैं गेट खोलकर अंदर चला गया और जिस कमरे में मम्मी सोती थी उसकी खिडकी के पास जाकर मम्मी को जगाया और दरवाजा खुलवाया। मम्मी ने मेरे से पुछा कि इतनी रात को कहां से आया है तो मैंने बताया कि मैं रात को यहीं सोउगा तो मम्मी ने कहा कि ठीक है तुझे खाना खाना है तो खा लेना मैं सो रही हूं। इसके बाद मम्मी अपने कमरे में जाके सो गयी तो मैंने केशव को भी मकान के अंदर बुला लिया। हमने लगभग आधा घण्टा इंतजार किया और फिर सोती हुयी मम्मी का गला घोंटकर मार दिया तथा उसे इस तरह से लेटा दिया कि कोई भी देखे तो यह लगे कि वो सो रही है। इसके बाद मैंने मेरे कमरे की आलमारी में से थोडा सा सामान फर्श पर बिखेर दिया तथा मम्मी वाले कमरे में मौजूद आलमारियों में जो भी सामान ठीक लगा हमने दो बैगों में डाल लिया फिर तीसरे कमरे का सामान भी बिखेर दिया ताकि पब्लिक एवं पुलिस को यह भी लगे कि किसी ने लूट के चक्कर में मम्मी का मारा है |
इसके बाद मैं व केशव उसी रास्ते से वेगनार से जयपुर मेरे फ्लेट पर चले गये क्योंकि मेरी पत्नी अपने पीहर गयी हुयी थी। इसके बाद सुबह 6 बजे के करीब हम दोनो फ्लेट से रवाना हुये और मैंने हस्तेडा केश्व को उसके घर के बाहर छोड दिया और उसे बताया कि तैयार होकर आ जा तुझे अपने मूल गांव मथूरा की तरफ जाना है जब मामला शांत हो जायेगा तब मैं तुझे बुला लूंगा और तुझसे मैने जो वादा किया है वो पुरा कर दूंगा। तैयार होकर आने के बाद मैं उसे अपने साथ लाया और मैंने उसे जयपुर जाने वाली बस मैं बैठा दिया। इसके बाद मैंने वेगनार यही छोड दी और मेरे मिलने वाले आनन्द को साथ लेकर मैं मेरे फ्लेट पर करीब 11.30 बजे दिनांक 29 जुलाई को पहुंच गया| उसी दौरान मेरे भाई मुकेश का मेरे पास फोन आया कि घर का सामान बिखरा पडा है और मम्मी की डेथ हो गयी है तू कहां है तो मैंने बताया कि मैं फ्लेट पर ही हूं आ रहा हूं। इसके बाद मैं आनन्द को साथ लेकर रवाना होकर घर पर आ गया। मैंने इस घटना को अंजाम देने से पहले बचने के सारे तरीके काम में लिये थे लेकिन फिर भी मेरा राज खुल गया और मैं पकडा गया।
रिपोर्ट – राम गोपाल सैनी