बांग्लादेश (हमारा वतन) बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट हो चुका है और वो अपनी जान बचाकर भारत की शरण लिए हुए हैं। हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में हालात लगातार बदलते जा रहे हैं। हसीना की पार्टी अवामी दल के नेताओं का कत्लेआम हो रहा है। अभी तक 20 नेताओं का कत्ल किया जा चुका है। यही नहीं हिन्दुओं के साथ भी घोर अत्याचार की रिपोर्ट सामने आई है। हत्या, घरों में तोड़-फोड़ और कई मंदिरों को आग के हवाले कर दिया गया। हसीना के जाने के बाद से बांग्लादेश में कम से कम 100 लोगों की मौत हो चुकी है।
इसी बीच हसीना सरकार के तख्तापलट से जुड़ी नई रिपोर्ट सामने आई है। रॉयटर्स ने बांग्लादेश के सैन्य अधिकारियों के हवाले से बताया कि शेख हसीना ने देश छोड़कर भागने से एक रात पहले सैन्य अफसरों की मीटिंग ली थी और दंगों को कुचलने के लिए प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे। इस आदेश को सेना के अधिकारियों ने मानने से साफ इनकार कर दिया और सेना विद्रोहियों से जा मिली।
बांग्लादेश में 15 साल से सत्ता पर काबिज सबसे ताकतवर नेता शेख हसीना को दो महीनों के विद्रोह के आगे घुटने टेकने पड़े। आधिकारिक आवास से जल्दीबाजी में भागने से एक रात पहले शेख हसीना ने विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी। जिसमें उन्होंने सेना प्रमुख को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे। सेना प्रमुख ने अपने जनरलों के साथ बैठक में इस बात का खुलासा किया। नाम न छापने की शर्त पर दो सेवारत सैन्य अधिकारियों ने इस बात का खुलासा किया है कि सेना ने शेख हसीना के देशभर में सख्त कर्फ्यू लागू न करने और नागरिकों पर गोलियां नहीं चलाने की कसम खाई। अधिकारियों ने बताया कि शेख हसीना के लिए सेना का स्पष्ट संदेश था कि वे उनके साथ नहीं हैं।
हसीना ने क्यों खोया सेना से समर्थन :-
मामले की जानकारी रखने वाले एक भारतीय अधिकारी के अनुसार, जनरल वकर-उज-जमान ने हसीना के कार्यालय से संपर्क किया और प्रधानमंत्री को बताया कि उनके सैनिक उनके सख्त कर्फ्यू वाले आदेश को लागू करने में असमर्थ हैं। अधिकारी ने कहा कि संदेश स्पष्ट था- हसीना को अब सेना का समर्थन नहीं रहा।
बांग्लादेश हिंसा में मरने वालों की संख्या 400 पार :-
बांग्लादेश में हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 440 हो गई है। हसीना के इस्तीफे के बाद सेना ने सत्ता संभाल ली है। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने मंगलवार को संसद को भंग कर दी और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस (84) को आगामी अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया।