अलवर (हमारा वतन) अलवर जिले के रैणी उपखण्ड़ क्षेत्र के नवलपुरा गांव में शुक्रवार को अग्निवीर एक जवान की सैनिक सम्मान के साथ अंत्येष्टि हुई। इस दौरान आसपास से भारी संख्या में ग्रामीण वहां मौजूद रहे। इस बीच लोग भारत माता के जयकारे लगाते रहे और हाथों में तिरंगा लिए हुए थे।
गांव के जितेन्द्र सिंह तंवर पुत्र स्वर्गीय मगन चंद तंवर श्रीनगर आर्मी में पैराट्रूपर तंवर 3 पैरा स्पेशल फोर्स बटालियन में तैनात थे। 23 वर्षीय जितेंद्र साल 2022 में बतौर अग्निवीर सेना में भर्ती हुए थे।गुरुवार अपराह्न जयपुर मुख्यालय से सूचना मिली कि जितेन्द्र के सिर में गोली लग जाने से उसकी मौत हो गई है। सूचना पाकर परिजनों ने पुन: आर्मी बटालियन श्रीनगर से संपर्क साधकर पुष्टि की गई। पुष्टि पुख्ता हो जाने के बाद गांव में गमगीन माहौल बना रहा। बताया कि सर्च आपरेशन के दौरान जम्मू- कश्मीर के पूंछ इलाके में आतंकी मुठभेड़ में मौत हो गई। राष्टीय करणी सेना अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराणा ने जवान की मौत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए फौजी के परिवार की तरह ही जितेन्द्र के परिजनों को सुविधा देने की मांग उठाई। जवान की पार्थिव देह शुक्रवार शाम पांच बजे गांव में पहुंचने पर अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। मुखाग्नी बड़े भाई सुनील ने दी। प्रशासनिक अधिकारियों ने परिजनों को ढाढ़स बंधाया। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल हो गया।
सेना ने बैठाई जांच
सेना के अधिकारियों का कहना है कि पैराट्रूपर अग्निवीर जितेंद्र सिंह तंवर की मौत की सही वजह जानने के लिए जांच बैठा दी गई है। जितेंद्र की गुरुवार को श्रीनगर में गोली लगने से मौत हो गई थी। उनका अंतिम संस्कार राजस्थान के अलवर जिले में उनके पैतृक गांव में किया गया है। सेना के सूत्रों का कहना है कि घटना श्रीनगर में हुई, जहां जितेंद्र तंवर की तैनाती थी। गोली लगने की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं है, जिसके चलते अभी सेना के अधिकारी मामले की जांच में जुटे हैं।
अभी तक चौथे अग्निवीर की मौत
वहीं भारतीय सेना में अग्निपथ स्कीन लॉन्च होने के बाद से अभी तक यह चौथे अग्निवीर की मौत है। इससे पहले 11 अक्तूबर, 2023 को पंजाब के एक अग्निवीर अमृतपाल सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में जम्मू में मौत हो गई थी। सेना ने कई दिन स्पष्टीकरण दिया था कि इस मामले में सैन्य सम्मान नहीं दिया गया था, क्योंकि मौत की वजह आत्महत्या थी। वहीं, 22 अक्तूबर, 2023 को सियाचिन में ड्यूटी के दौरान अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण गावते की जान चली गई थी। सेना ने इस मामले में माना था कि अक्षय लक्ष्मण गावते की मौत ड्यूटी के दौरान हुई है, इसलिए वे सेना की तरफ से मिलने वाली आर्थिक मदद के पात्र हैं। वहीं इसी साल 19 जनवरी, 2024 को जम्मू के राजौरी जिले के नौशेरा में एलओसी पर गश्त के दौरान बारूदी सुरंग यानी लैंड माइन पर पैर पड़ने से लुधियाना जिले के रहने वाले अग्निवीर अजय सिंह की मौत हो गई थी। सेना का स्पष्ट कहना है कि अगर कोई अग्निवीर सुसाइड कर लेता है, तो गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाएगा।
ये है तनख्वाह और शहीद होने पर मिलती है यह रकम
अग्निवीरों को पहले साल 30 हजार रुपये, दूसरे साल 33 हजार, तीसरे साल 36 हजार 500 और आखिरी साल में 40 हजार रुपये प्रति महीना सेलरी मिलती है। वहीं 30 फीसदी हिस्सा कॉर्पस फंड में जमा करना पड़ता है और सरकार भी इतनी ही राशि का योगदान इस फंड में देती है। साथ ही, तीनों सेनाओं में तैनात अग्निवीरों को स्थायी सैनिकों की तरह अवॉर्ड, मेडल और भत्ता दिया जाएगा। साथ ही, सरकार 44 लाख रुपये का बीमा भी कराएगी।
वहीं अगर कोई अग्निवीर ड्यूटी के दौरान शहीद होता है, तो उसे 48 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर, 44 लाख रुपये अनुग्रह राशि, चार सालों की सेवा निधि और कॉर्पस फंड मिलता है। मृतक अक्षय लक्ष्मण गावते के परिवारजनों को कुल मिला कर एक करोड़ 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। इनमें 48 लाख रुपये गैर-अंशदायी बीमा (इंश्योरेंस कवर), 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि (एकमुश्त एक्स-ग्रेशिया), आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन से 30,000 रुपये, आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड से 8 लाख रुपये, सेवा निधि में अग्निवीर द्वारा दिए गए 30 फीसदी योगदान, जिसमें सरकार का भी बराबर योगदान होता है और पूरी राशि पर ब्याज दिया गया है। इसके अलावा परिजनों को मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल के लिए भी वेतन भी दिया जाता है।