जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
नई दिल्ली (हमारा वतन) भगवान विष्णु ने अधर्म के नाश के लिए कई अवतार लिए तथा धर्म की स्थापना की। नृसिंह अवतार भी भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक है। भगवान नृसिंह शक्ति एवं पराक्रम के देवता हैं तथा इन्हें शत्रुओं के नाशक के रूप में जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यपु का वध किया था। इसलिए इस दिन नृसिंह जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष नृसिंह जयंती 25 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी।
नृसिंह अवतार की कथा
कश्यप ऋषि के दो पुत्रों में से एक का नाम हिरण्यकश्यप था। उसने कठोर तपस्या से ब्रह्माजी को प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त किया था कि उसे कोई देवता, देवी, नर, नारी, असुर, यक्ष या कोई अन्य जीव मार नहीं पाएगा। न दिन में, न रात में, न दोपहर में, न घर में, न बाहर, न आकाश और न ही पाताल में, न ही अस्त्र से और न ही शस्त्र से। यह वरदान प्राप्त करके वह खुद को ईश्वर समझ बैठा था।हिरण्यकश्यप अपनी प्रजा को स्वयं की पूजा करने के लिए दबाव डालने लगा, जो उसकी पूजा नहीं करता उसे वह तरह तरह की यातनाएं देता था। वह भगवान विष्णु के भक्तों पर क्रोध करता था। हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था, जिसका नाम प्रह्लाद था। वह भगवान विष्णु का परमभक्त था। जब इसकी जानकारी हिरण्यकश्यप को हुई तो उसने प्रह्लाद को समझाया। उसने अपने बेटे से कहा कि उसके पिता ही ईश्वर हैं, वह उनकी ही पूजा करे। लेकिन हिरण्यकश्यप के बार-बार मना करने पर भी प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी।हिरण्यकश्यप ने इसे अपना अपमान समझ कर प्रह्लाद को मारने के लिए कई यत्न किए, लेकिन श्रीहरि विष्णु की कृपा से वह बच जाता। अंत में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने के लिए मनाया। होलिका को वरदान मिला था कि आग से उसका बाल भी बांका नहीं होगा। लेकिन जब होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी, तो श्रीहरि की कृपा से वह स्वयं उस आग में जल गई और प्रह्लाद बच गया। अंत में क्रोधित हिरण्कश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को खंभे से बांध कर उसे मारने के लिए अपनी तलवार निकाली और बोला बता तेरा भगवान कहां है, प्रहलाद ने कहा कि भगवान यहीं इसी खंबे में हैं, जहां आपने मुझे बांध रखा है। जैसे ही हिरण्कश्यप ने प्रह्लाद को मारना चाहा, वैसे ही भगवान विष्णु नृसिंह का अवतार लेकर खंभे से बाहर निकल आए और हिरण्कश्यप का वध कर दिया।
पूजन कर भगवान नृसिंह को करें प्रसन्न
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल में एक चौकी पर लाल,श्वेत या पीला वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान नृसिंह और मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। भगवान नृसिंह की पूजा में पंचामृत, फल, पुष्प,पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल,अक्षत व पीतांबर का प्रयोग करें। भगवान नृसिंह के मंत्र ऊं नरसिंहाय वरप्रदाय नम: मंत्र का जाप करें। ठंडी चीजें दान में दें।
भगवान नृसिंह की पूजा का फल
जिस प्रकार विष्णुजी ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की उसी प्रकार किसी भी प्रकार के संकट के समय भगवान नृसिंह को याद करने से भक्तों को संकट से तुरंत मुक्ति मिलती है।जो भक्त नृसिंह जयंती के दिन भगवान नृसिंह का विधि विधान से पूजन करते हैं उन्हें शत्रुओं पर विजय मिलती है। कोर्ट कचहरी संबंधी मामलों में जीत हासिल होती है।भगवान नृसिंह की पूजा से मनोबल बढ़ता है जिससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, नकारात्मकता दूर होती है एवं शौर्य,तेज और बल प्राप्त होता है।भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार का पूजन अवश्य करना चाहिए।पद्म पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के इस रौद्र रुप की पूजा करने से पाप खत्म हो जाते हैं और परेशानियां भी दूर होती हैं।
पूजन मंत्र
ॐ उग्रवीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखं ।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम् ॥